संसद के दोनों सदनों में ‘मन की बात’ नहीं बनी,
तो अब मतदान के पहले एक घँटे टीवी पर भी..

राजा की घबराहट साफ़ है और डर गहरा,
मग़र जनता तो अपना ‘मन’ बना चुकी है।

कल गरीब, किसान, मजदूर, नौजवान और आम जनता मतदान से जवाब देगी।

“वसुधैव कुटुम्बकम” की संस्कृति को मानने वाले देश में ‘कांग्रेस परिवार’ की शक्ति से इतनी घृणा और डर एक तानाशाह को ही हो सकता है।

कांग्रेस के लिए देश ही परिवार है। इसीलिए हम हमेशा देश के दुश्मनों से लड़े हैं। कुर्बानियां दी हैं।

हर देशवासी के दुःख दर्द में हमेशा साथ खड़े रहे हैं।

कांग्रेस की ही विचारधारा है जिसने- “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो” के लिए लड़ाई लड़ी। पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया।

विभाजनकारी मानसिकता और अंग्रेज परस्तों की देश विरोधी साज़िशों के बावजूद सत्य,संघर्ष, समर्पण और बलिदान के रास्ते पर चलकर देश को 200 साल की गुलामी से आज़ाद कराया।

कांग्रेस की विचारधारा है जिसने देश को एकजुट हो आगे बढ़ने की ताकत दी।

देश को सांस्कृतिक व वैचारिक तौर से एक भी किया और देश की गँगा जमुनी तहज़ीब व विविधता का समावेश भी किया।

बाँटने नहीं,बनाने वाली ताक़तों का देश बनाया।

गोडसे की नफ़रत व हिंसा नहीं,
गाँधी का प्रेम व अहिंसा सिखाई।

झूठ और प्रोपेगेंडा के भरमार के बीच ‘डर’ ने जो नहीं बताया वो ‘सच’ देश समझ रहा है।

संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों को अपना राजनीतिक हथियार बनाने वाले ‘कमेटी’ के पीछे क्यों मुँह छुपा रहे हैं?

लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों से रौंदने वाले अपराधी आज भी मंत्रिमंडल में क्यों हैं?

पहले देश के अन्नदाताओं को दुगनी आमदनी और कर्जमाफी का झांसा दिया। फिर काले क़ानून थोपकर विश्वासघात किया और न्याय मांगा तो बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।

पंजाब और पंजाबियत को बदनाम किया। अब कहते हैं-“हम पंजाब के चुनाव में खुलकर आ गए हैं”। बेशर्मी की और कितनी परतें बचा रखी हैं?

आज के राजा को 2014 में तेज रफ़्तार से बढ़ती अर्थव्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों वाले खुशहाल देश की बागडोर मिली।

उसने हर दिन लोकतंत्र को चोट पहुँचाई।

तानाशाही फैसलों से देश को नुकसान पहुँचाया।

देखते ही देखते देश की तरक्की और खुशहाली छीन ली। फ़िर खुद भी डर से घबराया!

और अंत में….

“क़ातिल ने किस सफाई से धोई है आस्तीं,
उसको ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है !”